संवाद, सामर्थ्य और समृद्धि की त्रिवेणी हैं स्वामी विवेकानंद- डॉक्टर जी. एन. खान ।
एम.के. डी.ए.वी. में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की 163 वीं जयंती ।
बालू में मूर्तिमान दिखाई दिए स्वामी जी ।
” उठो!, जागो ! और लक्ष्य प्राप्त करने से पहले मत रुको ” – इस प्रसिद्ध कथन के उद्घोषक स्वामी विवेकानंद जी की 163 वीं जयंती 12 जनवरी 2025 को एम.के. डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डालटेनगंज में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल्स झारखंड क्षेत्र आई के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी सह प्राचार्य एम.के. डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डॉक्टर जी.एन खान ने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ स्वामी जी के चित्र के समक्ष वैदिक मंत्रोचार के बीच दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात सभी शिक्षकों ने बारी- बारी से स्वामी जी को पुष्पांजलि देकर नमन किया । विद्यालय के कला शिक्षक श्री प्रवीर पात्रा ने रेत पर स्वामी जी का सुंदर चित्र बनाया, जो छात्रों एवं शिक्षकों के आकर्षण का केंद्र रहा। प्राचार्य जी एवं अन्य शिक्षकों ने वहां भी पुष्पार्चन कर स्वामी जी को नमन किया ।
इस अवसर पर अपने उदगार व्यक्त करते हुए डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल्स झारखंड क्षेत्र आई के सहायक क्षेत्रीय अधिकारी सह प्राचार्य एम.के. डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल डालटेनगंज डॉक्टर जी.एन. खान ने अपने अतीत को स्वामी विवेकानंद जी से जोड़ते हुए बताया कि मेरी शिक्षा ( इंटर एवं स्नातक ) स्वामी विवेकानंद मेमोरियल कॉलेज, जगतसिंहपुर, उड़ीसा में पूरी हुई। मैं वहां अवकाश के समय में स्वामी जी की मूर्ति के नीचे ही बैठा करता था। वहां अंकित स्वामी जी के प्रेरक वचन एवं प्रसंग मेरे लिए प्रेरणा स्रोत थे । डॉ.खान ने कहा कि स्वामी जी को देश के युवाओं पर पूर्ण विश्वास था ।स्वामी जी के अनुसार स्वस्थ युवक ही देश को परम वैभव के शिखर पर स्थापित कर सकते हैं। उनके अनुसार युवक ही देश में समृद्धि, नव परिवर्तन , नई स्फूर्ति एवं नई चेतना जागृत कर महापुरुषों के सपनों को पूरा कर सकते हैं । यही कारण है कि आज कृतज्ञ भारत स्वामी जी के जन्मदिन को ‘ राष्ट्रीय युवा दिवस ‘ के रूप में मना रहा है । स्वामी जी का शिकागो में ‘ विश्व धर्म महासभा ‘ में किया गया प्रिय संबोधन ” भाइयों ! एवं बहनों ! ” , प्रखर! , ओजस्वी भाषण ने उन्हें विश्व क्षितिज पर स्थापित किया । स्वामी जी ने अपने जीवन काल में वेदांत दर्शन एवं सामाजिक समरसता पर सराहनीय कार्य किया। उन्होंने भारत के युवाओं से समाज में व्याप्त जातीय विद्वेष, छुआछूत को दूर कर मानवता आधारित समाज निर्माण का आह्वान किया । किंतु अफसोस की महज 39 वर्ष की आयु पूरी कर मानवता का मसीहा, वैदिक धर्म ध्वज वाहक,स्वामी जी ने 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ हावड़ा में अपनी इह लीला समाप्त की । उनके द्वारा अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस जी की स्मृति में स्थापित रामकृष्ण मिशन उनके जीवित- जागृत स्मारक के रूप में आज भी पूरे देश में मानव मात्र की सेवा में समर्पित हैं । प्राचार्य जी ने स्वामी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें कोटि-कोटि नमन किया ।
इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री आलोक कुमार, श्री सी.एस.पांडे,श्री नीरज श्रीवास्तव, श्री ए.के. पांडे, श्री जितेंद्र तिवारी,श्रीमती मीनाक्षीकरण उपस्थित थीं। कार्यक्रम संयोजक शिक्षक श्री कन्हैया राय थे।
